स्वेता.पी, 9 बी
बरसात का एक दिन.......
सुन रही थी बारिश का संगीत।
काले बादल भरे आसमान,
नीचे लहराती पानी का आनंद।
नही बरसात का एक दिन
सुन रही थी माँ का रोने की आवाज़।
लाल रंग दे भरी आँखें
टिप टिप बरस रही थी आँसू।
बारिश का पानी मे नाचता हैं लोग,
खेलते हैं बच्चे!
लेकिन मैं ...........
जानती नही थी मैं, जो हुई है
सफेद कपडे ओढे सो रहा था बापू।
फिर माँ क्यो रो रही थी
और सब राम राम सत्य सत्य कह के,
बापू को कहाँ ले गया।
आज भी बारिश होते तो
याद ले आते है उस काले दिन की
कर रही हूँ कोशिश एक
खिलौना नाव पकड के
इस अंधकार से चली जाऊँ ..................
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