വിദ്യാര്‍ത്ഥികള്‍ തയാറാക്കുന്ന പൊതുവിദ്യാഭ്യാസ മേഖലയിലെ ആദ്യ ബ്ലോഗ്
ഓല മാസികയുടെ ആഭിമുഖ്യത്തില്‍ 2012 നവംബര്‍ 16 ന് ഭാഷ, സംസ്കാരം, സമൂഹം എന്ന വിഷയത്തെ അടിസ്ഥാനമാക്കി സെമിനാര്‍ സംഘടിപ്പിക്കുന്നു. മലയാളത്തിന്റെ പ്രിയ കഥാകാരന്‍ എന്‍ പ്രഭാകരന്‍ ഉദ്ഘാടനം ചെയ്യുന്നു..
यात्रा विवरण
वयनाट की यात्रा
                                                              श्वेता.पी, 9 बी

                  उस दिन मैं बहुत खुश थी।सुबह सुबह उठकर माता पिता और बहन के साथ यात्रा शुरू की।जब हम वयनाड पहूँचे ठंडी सुहानी हवा मुझे चूमने लगी।मैं बस की खिडकी के पास बाहर देखकर हवा खाने लगी।ऐसा लगा कि मैं सो जाऊँ। पर माँ ने सोने नहीं दिया।कहा........पगली, तू सोने जाती हो, देखो बाहर, तेरा जैसा कितना बंदर खेल रही हैं। मुझे बंदर कहा.....थोडा गुस्सा आया।पर मेरी नज़र उस बंदर पर थीं।कितनी मस्ती करते हैं। खाना तो लोग देते हैं। मेहनत करने की ज़रूरत भी नहीं। सोचते सोचते हम पूकोड पहूँचे।कितना मनमोहाक स्थान है। भगवान से बिनती की कि अगली बार मुझे यहाँ जन्मा दें। मेरी प्रार्थना सुनकर दीदी ने कहा, 'क्या तुम अगले जन्म मे आदिवासी बनना चाहती हो'। मैं भी हँस पडी।बोट यात्रा की इच्छा थी, की। पानी में आसमान का प्रतिबिंब देखकर मुझे ऐसा लगा कि हम आसमान में पिकनिक केलिये पहूँचे हैं। साँच होने पर हम लौटने लगे। न जाने कब सो गयी थी, आँखें खोली तो बस मे थी.............

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